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Wellestu behalten dînen lîp, |
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sô lâ diz trügehafte wîp |
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rîten unde kêr von ir.
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nu prüeve selbe ir rât an mir.
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doch möht ich harte wol genesen, |
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ob ich bî ruowe solte wesen. |
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des hilf mir, getriwer man." |
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dô sprach mîn hêr Gâwân |
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"nim aller miner helfe wal." |
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"hie nâhen stêt ein spitâl:" |
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alsô sprach der rîter wunt: |
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"kœme ich dar in kurzer stunt, |
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dâ möht ich ruowen lange zît. |
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mîner friundîn runzît |
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hab wir noch stênde al starkez hie: |
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nu heb si drûf, mich hinder sie." |
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dô bant der wol geborne gast |
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der frouwen pfärt von dem ast: |
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er woldez ziehen nâher ir.
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der wunde sprach "hin dan von mir!
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wie ist iuch tretens mich sô gâch?" |
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er zôhz ir verr: diu frowe gienc nâch,
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sanfte unt doch niht drâte, |
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al nâch ir mannes râte. |
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Gâwân ûf daz pfärt si swanc. |
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innen des der wunde rîter spranc |
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ûf Gâwânes kastelân. |
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ich wæne daz was missetân. |
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er unt sîn frouwe riten hin: |
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daz was ein sündehaft gewin. |
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