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dô bôt man in daz trinken dar |
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in manegem steine wol gevar, |
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smârâde unde sardîn: |
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etslîcher was ein rubîn. |
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Für daz poulûn dô reit |
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zwên ritter ûf ir sicherheit. |
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die wârn hin ûz gevangen, |
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und kômn her în gegangen. |
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daz eine daz was Kaylet. |
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der sach den künec Gahmuret |
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sitzen als er wære unfrô. |
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er sprach "wie gebârstu sô? |
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dîn prîs ist doch dâ für rekant, |
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frôn Herzeloyden unde ir lant |
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hât dîn lîp errungen. |
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des jehent hie gar die zungen: |
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er sî Bertûn od Yrschman, |
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od swer hie wälhisch sprâche kan, |
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Franzois od Brâbant, |
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die jehent und volgent dîner hant, |
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dir enkünne an sô bewantem spiln |
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glîche niemen hie geziln. |
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des lis ich hie den wâren brief: |
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dîn kraft mit ellen dô niht slief, |
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dô dise hêrren kômn in nôt, |
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der hant nie sicherheit gebôt; |
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mîn hêr Brandelidelîn, |
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unt der küene Lähelîn, |
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Hardîz und Schaffillôr. |
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ôwê Razalîc der Môr, |
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