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sô lâzer mirn ze frühte komn. |
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ich hân doch schaden ze vil genomn |
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An mînem stolzen werden man. |
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wie hât der tôt ze mir getân! |
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er enphienc nie wîbes minnen teil, |
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ern wære al ir vröuden geil: |
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in müete wîbes riuwe. |
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daz riet sîn manlîch triuwe: |
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wand er was valsches lære." |
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nu hœrt ein ander mære, |
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waz diu frouwe dô begienc. |
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kint und bûch si zir gevienc |
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mit armen und mit henden. |
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si sprach "mir sol got senden |
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die werden fruht von Gahmurete. |
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daz ist mînes herzen bete. |
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got wende mich sô tumber nôt: |
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daz wær Gahmurets ander tôt, |
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ob ich mich selben slüege, |
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die wîle ich bî mir trüege |
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daz ich von sîner minne enphienc, |
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der mannes triwe an mir begienc." |
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diu frouwe enruochte wer daz sach, |
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daz hemde von der brust si brach. |
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ir brüstel linde unde wîz, |
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dar an kêrte si ir vlîz, |
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si dructes an ir rôten munt. |
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si tet wîplîche fuore kunt. |
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alsus sprach diu wîse. |
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"du bist kaste eins kindes spîse: |
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