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ir harnasch er behalden bat: |
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inz her si kêrten für die stat. |
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Swie si wærn von trünken rôt, |
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die ûzeren sprâchen "hungers nôt |
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habt ir gedolt, ir armen." |
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"lât iuch uns niht erbarmen" |
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sprach diu gevangene ritterschaft. |
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"dort inne ist spîse alsölhiu kraft, |
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wolt ir hie ligen noch ein jâr, |
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si behielten iuch mit in für wâr. |
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de küngin hât den schœnsten man |
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der schildes ambet ie gewan. |
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er mac wol sîn von hôher art: |
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aller ritter êre ist zim bewart." |
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dô diz erhôrte Clâmidê, |
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alrêrst tet im sîn arbeit wê. |
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boten sander wider în,
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und enbôt, swer bî der künegîn |
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dâ gelegen wære, |
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"ist er kampfes bære |
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sô daz sin dâ für hât erkant |
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daz er ir lîp unde ir lant |
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mir mit kampfe türre wern, |
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sô sî ein fride von bêden hern." |
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Parzivâl des wart al vrô, |
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daz im diu botschaft alsô |
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gein sîn eines kampfe was gesagt. |
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dô sprach der junge unverzagt |
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"dâ für sî mîn triwe pfant, |
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des inren hers dechein hant |
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