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sô daz si niht geriuwe |
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| 3,2
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ir kiusche und ir triuwe. |
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vor gote ich guoten wîben bite, |
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daz in rehtiu mâze volge mite.
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scham ist ein slôz ob allen siten: |
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ich endarf in niht mêr heiles biten. |
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diu valsche erwirbet valschen prîs. |
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wie stæte ist ein dünnez îs, |
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daz ougestheize sunnen hât? |
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ir lop vil balde alsus zergât. |
| 3,11
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manec wîbes schœne an lobe ist breit: |
| 3,12
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ist dâ daz herze conterfeit, |
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die lob ich als ich solde |
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daz safer ime golde. |
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ich enhân daz niht für lîhtiu dinc, |
| 3,16
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swer in den kranken messinc |
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verwurket edeln rubîn |
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und al die âventiure sîn |
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(dem glîche ich rehten wîbes muot). |
| 3,20
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diu ir wîpheit rehte tuot, |
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dane sol ich varwe prüeven niht, |
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noch ir herzen dach, daz man siht. |
| 3,23
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ist si inrehalp der brust bewart, |
| 3,24
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so ist werder prîs dâ niht verschart. |
| 3,25
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Solt ich nu wîp unde man |
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ze rehte prüeven als ich kan, |
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dâ füere ein langez mære mite. |
| 3,28
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nu hœrt dirre âventiure site. |
| 3,29
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diu lât iuch wizzen beide |
| 3,30
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von liebe und von leide: |
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