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Artûs die bete hôrte: |
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daz gespræche er zestôrte, |
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mit in widr an den rinc er saz. |
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Gâwâns schenke niht vergaz, |
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dar entrüegen junchêrrelîn |
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mangen tiwern kopf guldîn |
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mit edelem gesteine. |
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der schenke gienc niht eine. |
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dô daz schenken geschach, |
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daz folc fuor gar an sîn gemach. |
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do begundz ouch nâhen der naht. |
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Parzivâl was sô bedâht, |
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al sîn harnasch er besach. |
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op dem iht riemen gebrach, |
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daz hiez er wol bereiten |
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unt wünneclîchen feiten, |
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unt ein niwen schilt gewinnen: |
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der sîn was ûze unt innen |
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zerhurtiert und ouch zerslagn: |
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man muose im einen starken tragn. |
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daz tâten sarjande, |
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die vil wênc er bekande: |
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etslîcher was ein Franzeys. |
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sîn ors daz der templeys |
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gein im zer tjoste brâhte, |
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ein knappe des gedâhte, |
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ez wart nie baz erstrichen sît. |
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dô was ez naht unt slâfes zît. |
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Parzivâl ouch slâfes pflac: |
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sîn harnasch gar vor im dâ lac. |
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