| 20,1
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sus warb ie der ungerne vlôch. |
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vil orse man im widerzôch, |
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durchstochen und verhouwen. |
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manege tunkele frouwen |
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sach er bêdenthalben sîn: |
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nâch rabens varwe was ir schîn. |
| 20,7
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sîn wirt in minneclîche enpfienc; |
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daz im nâch fröuden sît ergienc. |
| 20,9
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daz was ein ellens rîcher man: |
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mit sîner hant het er getân |
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manegen stich unde slac, |
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wand er einer porten phlac. |
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bî dem er manegen rîter vant, |
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die ir hende hiengen in diu bant, |
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unt den ir houbet schrunden. |
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die heten sölhe wunden, |
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daz si doch tâten rîterschaft: |
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si heten lâzen niht ir kraft. |
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Der burcgrâve von der stat |
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sînen gast dô minneclîchen bat |
| 20,21
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daz er niht verbære |
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al daz sîn wille wære |
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über sîn guot und über den lîp. |
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er fuorte in dâ er vant sîn wîp, |
| 20,25
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diu Gahmureten kuste, |
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des in doch wênc geluste. |
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dar nâch fuor er enbîzen sân. |
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dô diz alsus was getân, |
| 20,29
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der marschalc fuor von im zehant |
| 20,30
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alda er die küneginne vant, |
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