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Der valscheite widersaz |
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kêrt ûf der huofslege kraz. |
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sîn scheiden dan daz riwet mich. |
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alrêrst nu âventiurt ez sich. |
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do begunde krenken sich ir spor: |
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sich schieden die dâ riten vor.
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ir slâ wart smal, diu ê was breit: |
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er verlôs se gar: daz was im leit. |
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mær vriesch dô der junge man, |
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dâ von er herzenôt gewan. |
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do erhôrte der degen ellens rîch |
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einer frouwen stimme jæmerlîch. |
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ez was dennoch von touwe naz. |
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vor im ûf einer linden saz |
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ein magt, der fuogte ir triwe nôt. |
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ein gebalsemt ritter tôt |
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lent ir zwischenn armen. |
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swenz niht wolt erbarmen, |
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der si sô sitzen sæhe, |
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untriwen ich im jæhe. |
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sîn ors dô gein ir wante |
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der wênic si bekante: |
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si was doch sîner muomen kint. |
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al irdisch triwe was ein wint, |
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wan die man an ir lîbe sach. |
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Parzivâl si gruozte unde sprach |
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"frouwe, mir ist vil leit |
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iwer senelîchiu arebeit. |
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bedurft ir mînes dienstes iht, |
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in iwerem dienste man mich siht." |
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