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Er kêrt ûz da er den Wâleis vant, |
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des witze was der minnen pfant. |
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er truoc drî tjoste durch den schilt, |
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mit heldes handen dar gezilt: |
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ouch het in Orilus versniten. |
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sus kom Gâwân zuo zim geriten, |
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sunder kalopieren |
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unt âne punieren: |
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er wolde güetlîche ersehen, |
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von wem der strît dâ wære geschehen. |
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dô sprach er grüezenlîche dar |
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ze Parzivâl, dies kleine war |
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nam. daz muose et alsô sîn: |
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dâ tet frou minne ir ellen schîn |
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an dem den Herzeloyde bar. |
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ungezaltiu sippe in gar |
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schiet von den witzen sîne, |
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unde ûf gerbete pîne |
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von vater und von muoter art. |
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der Wâleis wênec innen wart, |
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waz mîns hêrn Gâwânes munt |
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mit worten im dâ tæte kunt. |
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dô sprach des künec Lôtes suon |
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"hêrre, ir welt gewalt nu tuon, |
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sît ir mir grüezen widersagt. |
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ine bin doch niht sô gar verzagt, |
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ine bringz an ander vrâge. |
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ir habet man und mâge |
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unt den künec selbe entêret, |
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unser laster hie gemêret. |
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