| 773,1
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Der heiden was von herzen vrô, |
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| 773,2
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daz sîns pruoder prîs alsô |
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stuont, daz sîn hant erstreit |
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sô manege hôhe werdekeit. |
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des dancter im sêre: |
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er hetes selbe och êre. |
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innen des hiez tragen Gâwân, |
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als ez unwizzende wære getân, |
| 773,9
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des heidens zimierde in den rinc. |
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si prüevetenz dâ für hôhiu dinc. |
| 773,11
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rîter unde frouwen |
| 773,12
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begunden alle schouwen |
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[den] wâpenroc, [den] schilt, [daz] kursît. |
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der helm was zenge noch ze wît. |
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si prîsten al gemeine |
| 773,16
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die tiwern edeln steine |
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die dran verwieret lâgen. |
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niemen darf mich vrâgen |
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von ir arde, wie si wæren, |
| 773,20
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die lîhten unt die swæren: |
| 773,21
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iuch hete baz bescheiden des |
| 773,22
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Eraclîus ode Ercules |
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unt der Krieche Alexander, |
| 773,24
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unt dennoch ein ander, |
| 773,25
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der wîse Pictagoras, |
| 773,26
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der ein astronomierre was,
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| 773,27
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unt sô wîse âne strît, |
| 773,28
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niemen sît Adâmes zît |
| 773,29
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möhte im glîchen sin getragen. |
| 773,30
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der kunde wol von steinen sagen. |
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