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Der êrsten blic den heiden clâr |
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dûhte und reideloht ir hâr, |
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die andern schœner aber dâ nâch, |
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die er dô schierest komen sach, |
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unde ir aller kleider tiwer. |
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süeze minneclîch gehiwer |
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was al der meide antlütze gar. |
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nâh in allen kom diu lieht gevar |
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Repanse_de_schoye, ein magt. |
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sich liez der grâl, ist mir gesagt, |
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die selben tragen eine, |
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und anders enkeine. |
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ir herzen was vil kiusche bî,
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ir vel des blickes flôrî. |
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sage ich des diens urhap, |
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wie vil kamerær dâ wazzer gap, |
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und waz man tafeln für si truoc |
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mêr denn ichs iu ê gewuoc, |
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wie unfuoge den palas vlôch, |
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waz man dâ karrâschen zôch |
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mit tiuren goltvazzen, |
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unt wie die rîter sâzen, |
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daz wurde ein alze langez spel: |
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ich wil der kürze wesen snel. |
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mit zuht man vorem grâle nam |
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spîse wilde unde zam, |
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disem den met und dem den wîn, |
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als ez ir site wolde sîn, |
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môraz, sinôpel, clâret. |
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fil li roy Gahmuret |
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