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diu küneginne habe besant |
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Ithêrn von Kukûmerlant: |
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des wâpen kom zer tjoste für
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und wart getragen nâch prîses kür." |
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der künec sprach zem knappen sân |
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"Condwîr_âmûrs wil mich hân, |
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und ich ir lîp unt ir lant. |
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Kingrûn mîn scheneschlant |
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mir mit wârheit enbôt, |
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si gæbn die stat durch hungers nôt, |
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unt daz diu küneginne |
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mir büte ir werden minne." |
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der knappe erwarp dâ niht wan haz. |
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der künec mit her reit fürbaz. |
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im kom ein ritter widervarn, |
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der ouch daz ors niht kunde sparn: |
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der sagt diu selben mære. |
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Clâmidê wart swære |
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freude und rîterlîcher sin: |
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ez dûht in grôz ungewin. |
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des küneges man ein fürste sprach |
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"Kingrûnen niemen sach |
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strîten für unser manheit: |
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niwan für sich einen er dâ streit. |
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Nu lât in sîn ze tôde erslagen: |
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sulen durch daz zwei her verzagen, |
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diz, und jenez vor der stat?" |
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sînen hêrrn er trûren lâzen bat: |
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"wir sulenz noch paz versuochen. |
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wellnt si wer geruochen, |
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