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Clâmidê der freuden âne: |
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"ir sult mich Gâwâne |
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bevelhen, frouwe, bin ichs wert. |
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sô weiz ich wol daz ers ouch gert. |
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leist er dar an iwer gebot, |
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er êrt iuch unt den rîter rôt." |
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Artûs bat sîner swester suon |
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gesellekeit dem künege tuon: |
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daz wære iedoch ergangen. |
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dô wart wol enphangen |
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von der werden massenîe |
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der betwungene valsches vrîe. |
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ze Clâmidê sprach Kingrûn |
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"ôwê daz ie kein Bertûn |
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dich betwungen sach ze hûs! |
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noch rîcher denne Artûs |
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wær du helfe und urborn, |
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und hetes dîne jugent bevorn. |
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sol Artûs dâ von prîs nu tragn, |
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daz Kai durch zorn hât geslagn |
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ein edele fürstinne, |
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diu mit herzen sinne |
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ir mit lachen hât erwelt |
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der âne liegen ist gezelt |
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mit wârheit für den hôhsten prîs? |
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die Berteneise ir lobes rîs |
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Wænent nu hôch gestôzen hân: |
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ân ir arbeit istz getân, |
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daz tôt her wider wart gesant |
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der künec von Kukûmerlant, |
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