277,1
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Keie erwarp dô niwen haz, |
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277,2
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von rittern, frouwen, swer dâ saz |
277,3
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ame stade bî dem Plimizœl. |
277,4
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Gâwân und Jofreit fîz Idœl, |
277,5
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unt des nôt ir habt gehœret ê, |
277,6
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der gevangene künec Clâmidê, |
277,7
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und anders manec werder man |
277,8
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(ir namn ich wol genennen kan, |
277,9
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wan daz ichz niht wil lengen), |
277,10
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die begunden sich dô mengen. |
277,11
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ir dienst mit zühten wart gedolt. |
277,12
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frou Jeschûte wart geholt |
277,13
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ûf ir pfärde, aldâ si saz. |
277,14
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der künec Artûs niht vergaz, |
277,15
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und ouch diu künegîn sîn wîp, |
277,16
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si enpfiengen Jeschûten lîp. |
277,17
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von frouwen dâ manc kus geschach. |
277,18
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Artûs ze Jeschûten sprach |
277,19
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"iwern vater, den künec von Karnant, |
277,20
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Lacken, hân ich des erkant, |
277,21
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daz ich iwern kumber klagte |
277,22
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sît man mirn zem êrsten sagte. |
277,23
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ouch sît ir selb sô wol getân, |
277,24
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es solt iuch friwent erlâzen hân. |
277,25
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wan iwer minneclîcher blic |
277,26
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behielt den prîs ze Kanedic: |
277,27
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durch iwer schœne mære |
277,28
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bleip iu der sparwære, |
277,29
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Iwer hant er dannen reit. |
277,30
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swie mir von Oriluse leit |
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